मृत्यु:जीवन की नयी गाथा
वो कमरा आश्रम के पिछले हिस्से की गली में अवस्थित था,वो आश्रम के सभी कमरों से ज्यादा गुलज़ार और रौनक से लबरेज रहा करता था, उसमे जीवनोपयोगी सारी वस्तुएं मौजूद रहा करती थीं ,जो आश्रम के अन्य कमरों में तकरीबन कम ही पायी जाती थीं। हीटर,गीजर भंडारी के आले में सजी हुयी गिलासें,थालियाँ,प्रसाद का डिब्बा,दवाइओं के डिब्बे,तम्बाकू की डिबिया,कटोरे अादि वस्तुएं अपनी अपनी जगह पर करीने से रखी होती थीं. किसी भी वस्तु का बेतरतीब या मनमाने ढंग से रखा जाना उस कमरे के स्वामी को बिलकुल नागवार लगता था। जो व्यक्ति उस आज्ञा का उल्लंघन करता था वो गालियां सुनता था। एक ओर पलंग पर तरतीब से गद्दा,गद्दे पर कम्बल,चादर इत्यादि ढंग से फैलाये गए होते थे,सिरहाने पर तकिया जिसके गिलाफों में भक्तों और अनुयायियों द्वारा चढ़ाई गयी निधि,कभी तकिये के नीचे या उसके आस पास अस्त व्यस्त रूप से रखे गए रूपये अक्सर नुमायां होते थे। इन रुपयों के प्रति उस कमरे के स्वामी बेपरवाह रहा करते थे ,खाने पीने की वस्तुएं जिसमे नमकीन ,बिस्कुट ,भुना चना ,भुनी हुयी मूँगफली ,साबुन ,तेल इत्यादि चीज़ें बड़े बड़े थैलों में डालकर पलंग के नीचे या ऊपर टांड पर रख दिया गया था,पर सारी चीज़ें व्यवस्थित रखी गयी थीं, इन्ही चीज़ों की मौजूदगी उस छोटे से कमरे को और छोटा बना देती थी,परन्तु कम जगह होने के बावजूद उन चीज़ों का व्यवस्थित तरीके से होना, उस कमरे में रहनेवाले की नफासत का,उसके अनुशासन का,और जीवन जीने के उसके तरीके का हाल बयान बखूबी करता था,वो कमरा जीवनऊर्जा से भरपूर नज़र आता था, उस कमरे में रहने वाला शख्स बहुत अनुशासित था ,यदि कोई गलती हो जाती तो गरियाने में कोई कसर बाकी न छोड़ता था,उस शख्स की आस्था और विश्वास ही उसकी पूँजी थी, जो उसके सभी भक्तो एवं अनुयायियों को उसकी ओर आकर्षित करती थी,जिसके कारण उस कमरे में आश्रम के और कमरों के बनिस्पत ज्यादा चहल पहल और अस्तव्यस्तता हुआ करती थी,ऐसा लगता था मानो जिन्दगी वहां रोशन नज़र आती थी। अक्सर उस कमरे में रहने वाला शख्स ,दुसरे कमरे में रहने वालों पर विनोदपूर्ण टिप्पणियाँ करता ,कहता ,"मेरे जाने के बाद इस कमरे को आश्रम वाले सीज़ कर देंगे "। वो शख्स एक रिटायर्ड फौजी था,जो अब उस आश्रम में संन्यस्त होकर बाबा बन गया था।
आश्रम का पुनर्निर्माण ज़ोरों पर था,उस गली के सारे कमरों को तोडा जा रहा था,ताकि नया निर्माण हो सके,पर उस कमरे को नहीं तोडा गया था,उसमे रहनेवाला रोबदार फौजी ,अब भी उसी कमरे में रहता था,शनै शनै क्रमशः उस फौजी की तबियत भी अब शिथिल होती जा रही थी,अब वो बोल पाने में भी असमर्थ रहता था,
जो लोगबाग उस फौजी के पास आते थे,अब उनका आना भी धीरे धीरे कम हो गया था ,अब वो संन्यस्त फौजी धीरे धीरे ही सही अपने अंतिम प्रयाण की ओर बढ़ रहा था,अब वो एकांकी हो गया था,एकाध कोई,
उस फौजी की सेवा में भले वहां मौजूद रहे ,नहीं तो अब कोई वहां उस कमरे में नहीं जाता था। ये जीवन की वो संध्या थी जो रात्रि में बदलने वाली थी।
आज वह कमरा भी तोड़ दिया गया,ताकि एक नयी इमारत का निर्माण हो सके, उस कमरे में रहनेवाला रौबदार सन्यस्त फौजी भी आज उस पुरानी इमारत को छोड़कर चला गया,कैवल्य की राह पकड़ एक नयी इमारत की तलाश में, अपने भक्तोँ और अनुयायियों को अपनी स्मृतियों में छोड़कर।गाथा
आश्रम का पुनर्निर्माण ज़ोरों पर था,उस गली के सारे कमरों को तोडा जा रहा था,ताकि नया निर्माण हो सके,पर उस कमरे को नहीं तोडा गया था,उसमे रहनेवाला रोबदार फौजी ,अब भी उसी कमरे में रहता था,शनै शनै क्रमशः उस फौजी की तबियत भी अब शिथिल होती जा रही थी,अब वो बोल पाने में भी असमर्थ रहता था,
जो लोगबाग उस फौजी के पास आते थे,अब उनका आना भी धीरे धीरे कम हो गया था ,अब वो संन्यस्त फौजी धीरे धीरे ही सही अपने अंतिम प्रयाण की ओर बढ़ रहा था,अब वो एकांकी हो गया था,एकाध कोई,
आज वह कमरा भी तोड़ दिया गया,ताकि एक नयी इमारत का निर्माण हो सके, उस कमरे में रहनेवाला रौबदार सन्यस्त फौजी भी आज उस पुरानी इमारत को छोड़कर चला गया,कैवल्य की राह पकड़ एक नयी इमारत की तलाश में, अपने भक्तोँ और अनुयायियों को अपनी स्मृतियों में छोड़कर।गाथा
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